बुधवार, 22 सितंबर 2010

समय

घड़ी के
बंद होने से
नहीं रुकता
समय
ना ही
आँख बंद
कर लेने से

समय
चलता रहता है
अपनी गति से
समय के साथ
बदलता रहता है
परिवेश
परिवेश में होते हैं
परिवर्तन

कुछ सार्थक
निरर्थक भी
कुछ नहीं भी
लेकिन समय
रुकता नहीं
अर्थहीन परिवर्तनों से

हम समाहित
कर लेते हैं
स्वयं में
समय के कुछ टुकड़े
जिनमें होते हैं
हमारे भाव
हमारी संवेदनाएं

मैंने भी
समय से
चुरा लिया है
ए़क टुकड़ा
छोटा सा
जिसमें तुम हो
और मैं भी
भावनाओं क़ी पालकी
लिए खड़ा हूं
तुम्हारे मन के द्वार

चाहता हूं
समय से
थोड़ी और मोहलत
कि कह सकूं
वह सब
जिसे ना कह सका
आज तक

इसी ऊपापोह में
बीत ना जाए
समय का वह
दुर्लभ पल
समय
देना मुझे
अवश्य कुछ समय

4 टिप्‍पणियां:

  1. अरुण जी,
    समय मोहलत ही तो नही देता……………बस जो पल मिले उसे जी लेना चाहिये पता नही अगला पल क्या लेकर आये……………दिल की बात कहने मे तो इतनी भी देर नही लगानी चाहिये क्या पता कल समय का मूड हो या न हो।

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  2. samay se mangana samay us ek samay ko ji lene ka jise samay se chura liya gaya ...bahut khoob....

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  3. दूसरों के कल्याण हेतु लगाया समय द्विगुणित हो मिलता है।

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  4. देना मुझे
    अवश्य कुछ समय
    चलो इतना कह रहे हो तो समय दि.....या

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