शुक्रवार, 28 मई 2010

लाल मिट्टी का लाल सलाम


कभी
नंगे पैरों में
लगा कर देखो
लाल मिट्टी
जान पाओगे
तुम
बूट भरे पैरों के नीचे
रौंदी जा रही
इस मिट्टी का
लाल रुदन


कभी
नंगे पाँव
पार करके देखो
हमारी कटोरी नदी
इसके कल कल स्वर में
सुनायी देगी
तुम्हे
मिट्टी की
लाल सिसकियाँ


कभी
बिना हथियार के
बात करके देखो
हरे पत्तों से
और
पत्तों के पीछे छुपे
कोयलों से
सुन पाओगे
तुम
इस मिट्टी का
सबके लिए
लाल सलाम

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुन पाओगे
    तुम
    इस मिट्टी का
    सबके लिए
    लाल सलाम
    लाल सलाम के स्वर तो हैं पर इसे सुनने वाले कर्ण कहाँ!!

    बहुत सुन्दर रचनाएँ

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  2. kya baat hai....laal salaam...lekin ye laal itna drawana sa hi kyo hota hai aksar

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  3. lal salam me thori dard najar aa rahi hai......:(

    bhagwan kare........wo dard khushnuma ahsaas me badal jaye

    Lal Salam.......POET!!

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  4. आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ, क्षमा चाहूँगा,

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  5. वाह ......आपके ये हर बार शब्दों के नए प्रयोग एक दिन आपको शिखर तक ले जायेंगे ......!!

    बहुत सुंदर.....!!

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  6. लाल सलाम वाले को प्यार भरा सलाम,
    ये लाल रंग क्या हमें छोड़ेगा ???? लाल रंग तो प्यार का प्रतीक है पर आपका ये रंग बड़ा हृदयविदारक है. काश ये रंग लाल गुलाल में बदल जाये!!!!!!!!!!!!!!!1

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  7. लाल सलाम वाले को प्यार भरा सलाम,

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